बस इतना ही संग था तुम्हारा हमारा बेटी...!!
बस इतना ही संग था तुम्हारा हमारा बेटी...!!
बस इतना ही संग था तुम्हारा हमारा...,
जाओ बेटी खुश रहना ले लो आशीष हमारा...।।
जाओ बेटी खुश रहना ले लो आशीष हमारा...।।
कोई बदल ना पाए यह दस्तूर पुराना...छोड़ मां का आंचल संग पिया के जाना...हुई पराई रहा ना तुम पर वह अधिकार हमारा...बस इतना ही संग था तुम्हारा हमारा...।
तू मेरे घर की बाती वह घर रोशन करना...मेरे नैन की ज्योति चांद वहां तुम बनना...वो आंगन आबाद हुआ घर सूना हुआ हमारा...बस इतना ही संग था तुम्हारा हमारा...।
कहता है हर कोई तू दादी की परछाई...बेटी में मां देखी तो आंख मेरी भर आई...रंग रूप के संग विधाता दे गुण दे गुण सारा...बस इतना ही संग था तुम्हारा हमारा...।
छोड़ मायका इक दिन हर बेटी को है जाना...मां की सोन चिरैया यह घर बेगाना...मेरी छुटकी बहन तेरे बिन हो गई बेसहारा...बस इतना ही संग था तुम्हारा हमारा...जाओ बेटी खुश रहना ले लो आशीष हमारा...।।
वो लोग खुशनसीब होते हैं जिनके घर बेटी का जन्म होता है। कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिनके घर बेटी नहीं होती लेकिन वह किसी की बेटी को गोद लेकर उसका कन्यादान करते हैं।
" सीप में मोती सी होती है बेटियां...अंश नहीं वंश भी होती है बेटियां..आस्था ही नहीं अरमान भी होती है बेटियां...कुदरत का अनमोल उपहार है बेटिया...!!
सादर
अनीष व्यास
अनीष व्यास
Beautiful
ReplyDeleteheart touching wording.