आगामी चुनावो मे सोशल मीडिया निभायेगा अहम् रोल...!!


आगामी चुनावो मे सोशल मीडिया निभायेगा अहम् रोल...!!


आगामी चुनावो मे सोशल मीडिया एक बड़ा रोल अदा करने वाला हैं। बड़ी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने इसके लिए प्रोफेसनल्स को लगा रखा हैं| राजनेताओ के पर्सनल अकाउंट पर उनके द्वारा किए गये सभी कार्यों का खूब प्रचार किया जा रहा हैं व्हाट्स-अप पर किसी भी चुनावी रैली, योजना या लोकार्पण का विडियो बनाकर शेयर किया जा रहा हैं| किसी भी योजना की जानकारी सबसे पहले ट्वीटर पर ट्वीट करके दी जा रही हैं फेसबुक पर राजनीतिक पार्टियों के कार्यकर्ताओं ने धूम मचा रखी हैं| अपनी अपनी पार्टियों के समर्थन मे पक्ष रखा जा रहा हैंअपनी राजनीतिक पार्टियों की योजनाओ का प्रचार किया जा रहा हैं।

सोशल मीडिया नाम का यह हथियार लोगों के हाथ में पहुंच चुका है और इसकी मारक क्षमता आने वाले दिनों में और बढ़नी ही है। ऐसे में इसके दुरुपयोग को रोकने के इंतजाम तो हमें करने ही होंगे। दिक्कत यह है कि इस हथियार का इस्तेमाल असामाजिक तत्वों द्वारा किए जाने की जितनी आशंका है, उतना ही बड़ा खतरा राजनीतिक दलों द्वारा अपने संकीर्ण चुनावी हित में इसका अलोकतांत्रिक इस्तेमाल किए जाने का भी है।स्वाभाविक है कि इसका ज्यादा फायदा सरकारी पार्टियां उठाएंगी। इसलिए यह डर भी है कि सोशल मीडिया पर नजर रखने के लिए बनाई जा रही व्यवस्था सरकारी पक्ष को फायदा दिलाने में काम आ जाए। ऐसा न हो, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी अभी अदालत की और बाद में चुनाव आयोग की होगी। 

हम लोग मनोरंजन से लेकर खबरों तक के लिए सोशल मीडिया पर आश्रित होते जा रहे हैं| ट्वीटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्स-अप सब पर हर तरह की सामग्री को शेयर किया जा रहा हैं| सोशल मीडिया प्रचार का भी साधन बन चुका हैं| प्रचार चाहे किसी ब्राण्ड का हो, मूवी का या फिर किसी पार्टी का सब सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं| दुनिया भर के राजनेताओ और राष्ट्राध्यक्षों के ट्वीटर पर अकाउंट हैं। कुछ इंस्टाग्राम पर सेलिब्रिटी बन चुके हैं| कुछ के फेसबुक अकाउंट पर कमेंट्स की बाढ़ आई रहती हैं| किसी के भाषण के विडियो व्हाट्स-अप पर खूब शेयर किए जा रहे हैं| किसी का आइडिया और विचार ट्वीटर पर ट्रेंड कर रहा हैं| ये सब सोशल मीडिया नया रूप हैं| इसे खूब पसंद भी किया जा रहा हैं और ये सब बिलकुल फ्री मे हो रहा हैं| सस्ते इन्टरनेट ने इसके रास्ते खोल दिये हैं। 

सोशल मीडिया बहस का नया मंच बन चुका हैं| किसी भी मुद्दे पर यहाँ खुलकर बहस होती हैं| सभी अपने अपने विचार रखते हैं| इन विचारों का विश्लेषण करके राजनीतिक पार्टियां को अपनी भावी रणनीतियां तैयार करती हैं| हर योजना, उसकी सफलता, असफलता के कारणों पर राय और सुझाव सोशल मीडिया पर दिये जा रहे हैं| हर वर्ग सोशल मीडिया पर हैं इसलिए सबकी राय एक साथ मिल जाती हैं| हालांकि अभी ज़्यादातर बहस दिशा से भटक जाती हैं परंतु इनमे भी समय के साथ बदलाव आएगा| लोग सोशल मीडिया पर ज्यादा जिम्मेदार और परिपक्क्व बनेंग।
सोशल मीडिया पर बहुत सारे मीडिया हाउस विभिन्न राजनीतिक दलों की योजनाओ, क्रियाकलापों और विकास कार्यों का मूल्यांकन करने के लिए सोशल मीडिया पर सर्वे करवा रहे हैं| ये सर्वे पार्टियों की मदद कर सकते हैं और उनकी नीतियों मे बदलाव मे सहायक हो सकता हैं| ये सब सर्वे राजनीतिक पार्टियों को अगले चुनावों मे जनता के रुझानो की जानकारी भी देती हैं ताकि वे सावचेत हो जाए।
सरकारे और राजनीतिक दल उनकी नीतियों और योजनाओ का आंकलन करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले सकते हैं| ये सब कार्य फ्री मे हो जाता हैं| इसके लिए न ज्यादा समय चाहिए होता हैं और न भी पैसा| राजनीतिक पार्टियां प्रोफेसनल्स की मदद से अपना प्रचार करके जनमानस की सोच मे बदलाव भी ला सकते हैं| वे अपनी प्रचार की विधियों मे नयी जरूरतों के अनुसार तुरंत बदलाव भी कर सकती हैं| जितनी ज़िम्मेदारी ट्वीटर, इंस्टाग्राम फेसबुक और व्हाट्स-अप कंपनियों पर इनके दुरुपयोग पर रोक लगाने कि हैं, उससे ज्यादा ज़िम्मेदारी सोशल मीडिया पर सक्रिय जनता की भी है कि वे सही को शेयर करे, बेबाक राय दे और सार्थक बहस पर फोकस करे ताकि कुछ सकारात्मक परिणाम सामने आ सके। हम सभी को सोशल मीडिया पर आने वाले बड़ी बड़ी राजनीतिक पार्टियों के मैसेज पर अपना निर्णय सोच समज कर लेना होगा। 


सादर / साभार
अनीष व्यास


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