मुरझाया कमल...लहराया हाथ
मुरझाया कमल...लहराया हाथ
अनीष व्यास
स्वतंaaaaत्र पत्रकार
राजस्थान
के मतदाता हर
पांच साल में
एक नई सरकार
का चुनाव करने
के लिए जाने
जाते हैं।राजस्थान विधानसभा
चुनाव के परिणाम
के रूझान सभी
199 सीटों पर आ
गए हैं। जिसमें
कांग्रेस सरकार बनाती नजर
आ रही है। कांग्रेस के पूर्व
मुख्यमंत्री अशोक
गहलोत ने इन
परिणामों को अगले
लोकसभा चुनावों का संकेत
माना है। मतगणना
के शुरुआती रुझानों
के बाद जहां
कांग्रेस के प्रदेश
मुख्यालय व कांग्रेस
के प्रमुख नेताओं
के निवास पर
चहल पहल दिखी
वहीं बीजेपी के
मुख्यालय में अपेक्षाकृत
सन्नाटा दिखा। इस बार
राजस्थान में अन्य
भी निर्णायक भूमिका
में नजर आ
रहे हैं। इन
उम्मीदवारों में किशनगढ़
से सुरेश टाक
(निर्दलीय), खंडेला से महादेव
सिंह खंडेला, खींवसर
से हनुमान बेनिवाल,
गंगापुर से रामकेश,
थानागाजी से कान्ति
प्रसाद, दूदू से
बाबूलाल नागर, नगर से
वाजिब अली, फलौदी
से कुम्भसिंह, बस्सी
से लक्ष्मण मीणा,
बहरोड़ से बलजीत
यादव, भरतपुर से
दलवीर सिंह, भादरा
से बलवान पूनियां,
भोपालगढ़ से पुखराज,
मेड़ता से इन्दिरा
देवी, श्रीडूंगरगढ़ से
गिरधारीलाल, सिरोही से संयम
लोढ़ा का नाम
शामिल है।
अंतिम
परिणाम से पहले
ही सपा नेता रामगोपाल यादव ने ऐलान
कर दिया है
कि उनकी पार्टी
चुनाव के बाद
कांग्रेस को समर्थन
करेगी। जबकि बीएसपी
ने कांग्रेस को
समर्थन की घोषणा
नहीं की है,
लेकिन बीजेपी को
जरूर झटका दे
दिया है। बीएसपी
ने बीजेपी के
साथ जाने से
साफ इनकार कर
दिया है।
मौजूदा
चुनाव नतीजों से
एक बात ये
भी स्पष्ट होती
दिख रही है
कि मुख्यमंत्री वसुंधरा
राजे के खिलाफ
जिस गुस्से की
बात की जा
रही थी और
एग्जिट पोल में
कांग्रेस द्वारा क्लीन स्वीप
करने के जो
आंकड़े सामने आ रहे
थे, असल नतीजे
उससे उलट आ
रहे हैं। राजस्थान
में चुनावप्रचार के
दौरान भले ही
'मोदी से बैर
नहीं, वसुंधरा तेरी
खैर नहीं' जैसे
नारों की गूंज
सुनाई दी हो,
लेकिन बीजेपी के
प्रदर्शन को सम्मानजनक
माना जा रहा
है। दरअसल, 2003 और 2008 और
2013 के चुनावी नतीजों को
देखा जाए हर
चुनाव में सत्ता
परिवर्तन हुआ, लेकिन
बीजेपी और कांग्रेस
के बीच सीटों
का अंतर दिलचस्प
रहा है। 2003 के
विधानसभा चुनाव में बीजेपी
को 120 सीटें मिली थीं
और वसुंधरा राजे
के नेतृत्व में
बीजेपी की सरकार
बनी थी। राजे
ने पहली बार
राज्य की कमान
संभाली थी। इसके बाद
2008 के चुनाव हुए तो
कांग्रेस को 96 सीटें मिलीं
और बीजेपी 78 सीटों
के साथ बहुमत
से 23 सीट दूर
रह गई।
राजस्थान चुनाव परिणामों के रुझान सामने आने के बाद कांग्रेस नेता अशोक गह्लोत ने निर्दलीय प्रत्याशियों से समर्थन मांगा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस को जनता का समर्थन मिला है। सरकार बनाने में निर्दलीय कांग्रेस की मदद करें। सचिन पायलट ने कहा 'बीजेपी जुगाड़ से सरकार बनाना चाहती है। हम सरकार बनाने के लिए बागियों और बाहरियों का स्वागत करेंगे।
सुबह
8 बजे मतगणना शुरू
हुई और 9 बजे
तक शुरुआती रुझान
में कांग्रेस को
बढ़त मिलती दिखी
तो कांग्रेस के
प्रदेश मुख्यालय के साथ-साथ पार्टी
प्रदेशाध्यक्ष के जालूपुरा
स्थित निवास व
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक
गहलोत के निवास
पर कार्यकर्ताओं की
भीड़ दिखी। लोगों
ने जोश में
नारे लगाए व
पटाखे फोड़े।
हालांकि
बाद में 11 बजे
तक कांग्रेस की
शुरुआती बढ़त उतनी
मजबूत नहीं रही
और बीजेपी मुकाबले
में आती दिखी।
इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं
का जोश जरूर
कम हुआ लेकिन
वे उत्साहित थे।
वहीं बीजेपी का
प्रदेश मुख्यालय सुबह से
ही खाली-खाली
दिखा और वहां
कार्यकर्ताओं का हुजूम
नहीं दिखा। लगभग
11.15 बजे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे
व प्रदेशाध्यक्ष मदन
लाल सैनी मुख्यालय
पहुंचे।
वहीं
कांग्रेस नेता गहलोत
व सचिन पायलट
ने संवाददाताओं से
बातचीत की। दोनों
नेताओं ने कहा
कि अंतिम परिणाम
आने का इंतजार
किया जाए लेकिन
विश्वास जताया कि राज्य
में कांग्रेस पूर्ण
बहुमत के साथ
सरकार बनाएगी।
राजस्थान
में चुनावी रुझानों
से उत्साहित प्रदेश
कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट
ने कहा है
कि इस बार
राजस्थान में बीजेपी
को जोड़तोड़ नहीं
करने देंगे। उन्होंने
कहा है कि
वह गैर कांग्रेसी
दलों के साथ
टच में हैं,
जो भी लोग
या दल बीजेपी
के विरोध में
हैं, वह उनसे
संपर्क रखे हुए
हैं।उन्होंने कहा है
कि राजस्थान में
कांग्रेस सरकार बनाने जा
रही है।
पायलट
ने पत्रकारों से
बातचीत में कहा
कि राजस्थान ही
नहीं, मध्य प्रदेश
और छत्तीसगढ़ में
लोगों ने बीजेपी
की नीतियों और
राजनीति के खिलाफ
वोट दिया है। तमाम राज्यों
में बीजेपी की
नीतियों नोटबंदी, जीएसटी, महिलाओं
के खिलाफ अत्याचार
के खिलाफ वोट
पड़ा है। उन्होंने
कहा है कि
राजस्थान का जनादेश
यहां के लोगों
की जीत है। पायलट ने कहा
कि कांग्रेस ने
लोगों की बात
को आगे रखा
है. लोगों ने
कांग्रेस के मेनीफेस्टो
को पसंद किया
है। पायलट ने कहा
कि कांग्रेस के
कार्यकर्ताओं की मेहनत
के सामने धनबल
वाली बीजेपी को
हार का मुंह
देखना पड़ा है.पायलट ने कहा
है कि वह
पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी
समेत अशोक गहलोत
और दूसरे नेताओं
के साथ लगातार
संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि
सबसे जरूरी राज्य
में कांग्रेस की
सरकार बनाना है।राज्य
के लोग बीजेपी
के शासनकाल के
पांच साल में
परेशान और पीड़ित
रहे हैं। पायलट
के मुताबिक, सब
लोग चाहते हैं
कि यहां पर
कांग्रेस की सरकार
बने, हमने सब
लोगों से बात
भी की है। हम सीपीएम,
बीएसपी, घनश्याम बेनीवाल की
पार्टी से संपर्क
में हैं, जो
भी सेक्युलर और
काम करने वाली
सरकार को चाहते
हैं वो हमारे
साथ आएंगे। हमारा
लक्ष्य यहां से
भाजपा की सरकार
को हटाना है। उन्होंने कहा कि
बीजेपी के लोग
अब भी हाथ
पैर मार रहे
हैं। राजस्थान में जीतकर
आने वाले बीजेपी
के खिलाफ जीतेंगे,
यहां पर जोड़तोड़
की राजनीति नहीं
होने देंगे।
पायलट
ने कहा कि
राजस्थान में कांग्रेस
पांच साल पहले
से 21 विधायकों से
बढ़कर आधे से
ज्यादा सीटें जीतने की
स्थिति में आ
गई है। उन्होंने
कहा कि पिछली
बार 165 सीटें जीतने वाली
बीजेपी इस बार
100 सीटें हार रही
है। बीजेपी के बारे
में उन्होंने कहा
कि राजस्थान में
पीएम नरेंद्र मोदी,
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह
समेत कई केंद्रीय
नेताओं ने ताकत
लगा दी, लेकिन
जनता ने कांग्रेस
को स्पष्ट बहुमत
दिया है। हम
आराम से सरकार
बना लेंगे।
उन्होंने
आगे कहा कि
यह नतीजे बीजेपी
के लिए आत्मचिंतन
का विषय है
कि लोगों ने
उन्हें क्यों बाहर कर
दिया। पायलट ने कहा
कि यह जनादेश
बीजेपी के लिए
खतरे की घंटी
है। उन्होंने कहा है
कि बीजेपी नेताओं
को सत्ता के
घमंड का जवाब
मिला है। पायलट
ने कहा कि
देश भर में
बीजेपी के खिलाफ
माहौल बन गया
है। उन्होने कहा कि
चार महीने के
बाद ही लोकसभा
के चुनाव हैं। हाल ही
में दिल्ली में
21 दलों की बैठक
हुई। उन्होंने कहा कि
सब दल बीजेपी
के खिलाफ एकजुट
हैं।पायलट ने बताया
कि दिल्ली से
आए पर्यवेक्षकों के
सामने कल राजस्थान
कांग्रेस के विधायक
दल की बैठक
होगी।
कांग्रेस
को मौका मिलने
की वजह बताते
हुए कांग्रेस नेता गहलोत बोले कि
ये बात मैं
दिल्ली में भी
कह चुका हूं
कि हमारे कांग्रेस
अध्यक्ष राहुल
गांधी ने नरेंद्र
मोदी को उनके
खुद के राज्य में,
अमित शाह को
उनके खुद के
राज्य में
जिस प्रकार घेरा,
वह पूरा देश
देख रहा था.
उसकेबाद से वह
उठ खड़े नहीं
हो पा रहे। वह समझ
नहीं पा रहे
हैं कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़,
राजस्थान के
परिणाम ऐसे क्यों आ
रहे हैं।
ये
इसलिए आ रहे
हैं कि उनको
इतना घेर दिया
गया था कि
वह किसी इश्यू का
जवाब नहीं दे
पाए।बिना इश्यू
के इलेक्शन
लड़ा है उन
लोगों ने. वह
सत्ता में
थे इसलिए वहां
पर जो इश्यू नहीं
थे, उनको इश्यू बनाया। कभी गुजरात
की बेइज्जती
हो रही है,
कभी मेरी बेइज्जतीहो रही है,
कभी पूरी कौम
की बेइज्जती
हो रही है। इस भाषा
को लेकर वह
बोले थे और
टेक्निकली
चुनाव जीत गए। ये न
बीजेपी की जीत
थी और न
कांग्रेस की हार
थी। ये मैं
दावे के साथ
कह सकता हूं.
पूरा देश इस
बात को मानता
है।
सीएम राहुल तय करेंगे: गहलोत
अगले मुख्यमंत्री के सवाल पर अशोक गहलोत ने कहा - राहुल गांधी तय करेंगे कि कौन होगा अगला सीएम। 2019 लोकसभा चुनावों का रुख तय करेगा ये रिजल्ट।
अगले मुख्यमंत्री के सवाल पर अशोक गहलोत ने कहा - राहुल गांधी तय करेंगे कि कौन होगा अगला सीएम। 2019 लोकसभा चुनावों का रुख तय करेगा ये रिजल्ट।
आरबीआई गर्वनर को मजबूर होकर इस्तीफा देना पड़ा
गहलोत ने आरबीआई गर्वनर के इस्तीफे को भी अपनी बात में जोड़ते हुए कहा कि आने वाले वक्त में आप और परिवर्तन देखेंगे। कर्नाटक में उनकी सरकार नहीं बन पाई।आज देश में जिस तरह का माहौल है।गहलोत ने कहा कि देश की संवैधाननिक संस्थाएं बर्बाद हो रही हैं। आरबीआई गर्वनर का इस्तीफा कोई मामूली घटना नहीं है। पूर्व आरबीआई गर्वनर रघुराम राजन ने खुद ये कहा है कि आरबीआई गर्वनर कोई क्लर्क नहीं है जो खुद जाकर इस्तीफा दे दे। जब तक सरकार की तरफ से ऐसाकोई माहौल न बनाया गया हो। उन्हें मजबूर होकर इस्तीफा देना पड़ा. ये शायद 25-30 साल बाद पहली घटना है।
देश में जिस तरह शासन, उससे लोग दुखी
राहुल के चुनावी तरीकों की तारीफ करते हुए गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी ने जनता से जुड़े मुद्दों को इन चुनावों में उठाया। नौजवानों को नौकरी नहीं मिल रही. करप्शन को मुद्दे पर अमित शाह के बेटे को घेरा. महंगाई का मुद्दा उठाया. तेल की अंतरर्राष्ट्रीय कीमतेंकम हो रही हैं। यहां बढ़ती जा रही हैं।चुनाव आए तो कम कर दीं। ये तमाम लोग जिस तरह से देश में शासन कर रहे हैं, उनसे लोग दुखी हैं।कोई बोल नहीं रहा, कोई हिम्मत नहीं कर रहा. लेकिन लोग आगे इस पर जरूर बात करेंगे।
लोग ये मानने लगे हैं कि अच्छे दिन नहीं आए
ये चुनाव परिणाम किस बात का संकेत हैं, इस पर गहलोत ने कहा कि अभी जो माहौल बना है वह संकेत है कि आगे लोकसभा चुनाव में क्या होने वाला है। अभी तक इनका एक आभामंडल बन गया था लेकिन अब लोग ये मानने लगे हैं कि अच्छे दिन नहीं आए. न 2 करोड़ लोगों को प्रतिवर्ष नौकरीमिली। ब्लैकमनी एक भी नहीं आई।ये हालात सबके सामने है। जिसका परिणाम इस विधानसभा चुनाव में नजर आ रहा है और आगे भी आएगा।
नरेंद्र मोदी की हार है या वसुंधरा राजे की?
अशोक गहलोत से जब पूछा गया कि ये नरेंद्र मोदी की हार है या वसुंधरा राजे की तो जवाब में गहलोत बोले कि अभी परिणाम पूरा आने दीजिए, उसके बाद बैठकर इस बारे में बात करेंगे।
डेमोक्रेसी कहती है सबको मिलाकर चलो
जब गहलोत से सवाल पूछा गया कि निर्दलीय कह रहे हैं कि यदि कांग्रेस की सरकार बनती है तो वे उनके साथ होंगे। इस पर जवाब देते हुए गहलोत ने कहा कि डेमोक्रेसी कहती है सबको मिलाकर चलो. परिणाम आने दीजिए, फिर इस पर बात करेंगे।
यह लोगों का गुस्सा: संजय राउत
शिव सेना नेता संजय राउत ने कहा- मैं इसे कांग्रेस की जीत नहीं कहूंगा, यह लोगों का गुस्सा है। आत्मविश्लेषण की जरूरत है।
ममता बनर्जी का बयान
जनता ने भाजपा के खिलाफ मतदान किया है । यह जनता का फैसला है, अन्याय पर लोकतंत्र की जीत है: ममता ने चुनावी रूझान पर कहा ।
जनता ने भाजपा के खिलाफ मतदान किया है । यह जनता का फैसला है, अन्याय पर लोकतंत्र की जीत है: ममता ने चुनावी रूझान पर कहा ।
मुख्यमंत्री की दावेदारी लेकर कांग्रेस पार्टी में घमासान
मुख्यमंत्री की दावेदारी
को लेकर कांग्रेस पार्टी में घमासान
हो सकता है। अशोक गहलोत राजस्थान में कांग्रेस
की ओर से
सीएम पद के
सबसे पहले दावेदार
माने जा रहे
हैं।अशोक राहुल गांधी के
करीबी भी हैं.
वो अशोक गहलोत
ही थे जिन्होंने 2014
के बाद कांग्रेस के खेमे
में जोश भरा
था। वह चुनाव
था गुजरात का
विधानसभा चुनाव। इस चुनाव
के दौरान गुजरात
की कमान अशोक
गहलोत के हाथ
थी। तब कांग्रेस
ने बीजेपी को
कड़ी टक्कर दी।अब
सवाल उठ रहा
है कि क्या राजस्थान
में उन्हें
इस चीज़ का
फायदा मिल सकता
है।
गहलोत
राजस्थान के पुराने
सियासतदान हैं और
वो वसुंधरा राजे
के खिलाफ पहले
से मोर्चा भी
खोले हुए हैं।अशोक
गहलोत राजस्थान कांग्रेस
के वो कद्दावर
नेता हैं जिन्होंने
उसे राज्य में
दो बार सत्ता
दिलाई है ।राजस्थान
की 200 सीटों में से
29 सीटों पर अशोक
गहलोत का प्रभाव
है। विधानसभा चुनावों में
पांच सीटों पर
कांटे की टक्कर
होने की संभावना
जताई गई है.
इन 29 में से
28 सीटें ग्रामीण जबकि 1 सीट
शहरी है।
अशोक
गहलोत अगर कांग्रेस
आलाकमान के करीबी
हैं तो सीएम
पद की रेस
में उनके सामने
खड़े सचिन पायलट
भी राहुल गांधी
के करीबी हैं। सचिन पायलट
को कांग्रेस की
जीत होने पर
प्रदेश का भावी
मुख्यमंत्री माना जा
रहा है। पार्टी
की ओर से
मुख्यमंत्री पद का
उम्मीदवार घोषित नहीं करने
और सचिन पायलट
व पूर्व मुख्यमंत्री
अशोक गहलोत दोनों
को मैदान में
उतारने से इन
कयासों को बल
मिला है।
लोकसभा
चुनाव में राजस्थान
से कांग्रेस का
सफाया होने के
बाद प्रदेश की
कमान युवा नेता
सचिन पायलट को
दी गई।तब से
सचिन पायलट लगातर
काडर का आधार
बढ़ाने के लिए
जमीनी स्तर पर
मेहनत करते रहे
और राजस्थान के
उपचुनावों में कांग्रेस
की जीत से
उनकी नेतृत्व क्षमता
पर जीत की
मुहर भी लगी।
सचिन
पायलट कांग्रेस की
राजनीति का वह
चेहरा हैं जो
26 साल की उम्र
में सांसद बनने
का रिकॉर्ड बना
चुके हैं।अब 41 साल
की उम्र में
वो सीएम भी
बन सकते हैं
क्योंकि उनकी दावेदारी
भी गहलोत से
कमज़ोर नहीं है।अनुमान
अगर सच साबित
होते हैं तो
कांग्रेस के लिए
खुशी का मौका
होगा लेकिन इसी
खुशी के साथ
एक कलह भी
सियासत की चादर
ओढ़े कांग्रेस अध्यक्ष
के सामने खड़ी
होगी।
राजस्थान
की 200 सीटों में से
16 सीटों पर सचिन
पायलट का प्रभाव
है।16 में से
दो सीटों पर
मीणा, 2 सीटों पर मुस्लिम
और एक पर
राजपूत समुदाय के वोटरों
का दबदबा है। 2008
के विधानसभा चुनावों
में कांग्रेस ने
इनमें से 11 सीटों
पर जीत दर्ज
की थी और
बीजेपी को मिली
थी 2 सीट।
Comments
Post a Comment