अनुभवी और युवा नेता के बीच मुख्यमंत्री पद का मुकाबला...!!
अनुभवी और युवा नेता के बीच मुख्यमंत्री पद का मुकाबला...!!
अनीष व्यास
स्वतंaaaaत्र पत्रकार
राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका तो मिल गया है, लेकिन मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी किसे दी जाए, इसे लेकर अभी सस्पेंस बना हुआ है। प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में से किसी एक को सीएम पद सौंपा जाएगा। लेकिन किसके नाम पर मुहर लगेगी, ये फैसला कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को लेना है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट और ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के महासचिव अशोक गहलोत के बीच पद की दावेदारी है। हालांकि कहा जा रहा है कि अशोक गहलोत का सीएम बनना लगभग तय है। पार्टी सूत्रों की मानें तो ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के महासचिव अशोक गहलोत का लंबा राजनीतिक का सफर रहा है। ऐसे में प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष सचिन पायलट की जगह उन्हें राजस्थान का सीएम बनाया जा सकता है। गहलोत का पार्टी में खासा प्रभाव रहा है। इसके अलावा गांधी परिवार के वफादार गहलोत इंदिरा, राजीव और सोनिया गांधी के साथ काम भी कर चुके हैं।
राजस्थान में जीत के बावजूद सीएम पद को लेकर कांग्रेस के भीतर जारी खींचतान जमीन पर आ गई है।जयपुर में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के समर्थकों का शक्ति प्रदर्शन हो रहा है। जयपुर में विधायक दल की बैठक जरूर हुई, लेकिन सचिन पायलट या अशोक गहलोत में से किसी एक नाम पर अंतिम सहमति नहीं बन पाई और अंतिम फैसले की जिम्मेदारी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर छोड़ दी गई।
जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक समाप्त हो चुकी है.। इस बैठक में विधायकों से उनके नेता के नाम पर रायशुमारी की गई। जिसमें पार्टी महासचिव अशोक गहलोत ने एक लाइन का प्रस्ताव रखा कि सीएम का फैसला आलाकमान करेगा, वहीं सीपी जोशी ने भी गहलोत के प्रस्ताव का समर्थन किया।
इस बीच बीएसपी सुप्रीमो मायावती की तरफ से भी कांग्रेस के लिए राहत भरी खबर है, उन्होंने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो पार्टी कांग्रेस का समर्थन करेगी। इस बार बीएसपी के 6 विधायक चुनाव जीतकर आए हैं।
राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की बैठक में आज सीएम पद के उम्मीदवार पर माथापच्ची हुई। खबरों के मुताबिक बैठक में दो तिहाई विधायकों ने सचिन पायलट के पक्ष में मुहर लगाई। बैठक में सचिन-सचिन के नारे भी लगे। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच सीएम पद को लेकर रस्साकशी की खबरें मंगलवार 11 दिसंबर से ही हैं।
कांग्रेस मुख्यालय में एक तरफ विधायक दल की बैठक चल रही है, तो वहीं दफ्तर के बाहर में गहलोत और पायलट समर्थक में नारेबाजी का सिलसिला जारी है। ये समर्थक अपने नेताओं के कटआउट, प्लेकार्ड लेकर पहुंचे हैं और अंदर चल रही बैठक तक अपनी बात पहुंचाने के लिए नारेबाजी कर रहे हैं। इस बीच सचिन पायलट के एक समर्थक ने अपने खून से चिट्ठी लिखी है कि राज्य में 21 सीटों से उठाकर पार्टी को सत्ता में लाने वाले युवा नेता पायलट को राज्य की कमान सौंपी जाए।
खबर है कि बैठक के बाद सीएम पद पर फैसला अध्यक्ष राहुल गांधी पर छोड़ दिया गया है। इसी के साथ अब सभी की निगाहें राहुल गांधी की ओर है कि वह किसके नाम पर मुहर लगाते हैं। 11 दिसंबर में आए नतीजों में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला है और वह सरकार बनाने की तैयारी में है।
सीएम पद के दो दावेदार पूर्व सीएम अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट हैं। इसे लेकर दोनों के बीच खींचतान की भी खबर है। बताया जा रहा है कि वरिष्ठ नेता सचिन पायलट की मान-मनौव्वल में भी जुटे। बहरहाल, अब गेंद राहुल के पाले में है कि वह किसे सीएम बनाने का फैसला लेते हैं।
खबरों के मुताबिक मुख्यमंत्री पद के लिए पायलट और गहलोत में जद्दोजहद चल रही है। मीडिया में खबर आई थी कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता अहमद पटेल सचिन पायलट को मनाने जाएंगे। हालांकि जयपुर में मंगलवार को गहलोत और पायलट के साथ कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी की बैठक हुई।
वरिष्ठ नेताओं को नाराज नहीं करना चाहती कांग्रेस
अविनाश पांडेय और एआईसीसी के चारों उपाध्यक्ष गहलोत और सचिन पायलट से खासा कोठी में अलग-अलग मिले। दोनों ही नेताओं के समर्थन अपने-अपने नेता को सीएम का दावेदार बताते रहे। अविनाश पांडेय ने कहा कि जो परिस्थितियां हैं इसमें पार्टी हाई कमान गहलोत जैसे वरिष्ठ नेताओं को नाराज नहीं कर सकती है। अभी कांग्रेस के सामने 2019 की बड़ी लड़ाई है। लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश की 25 सीटें हैं। किसी भी कीमत पर पार्टी में अंदरूनी फूट नहीं होने दी जाएगी।
अनुभवी और युवा नेता के बीच मुकाबला
ऐसे में राजस्थान में सीएम फेस के लिए मुकाबला अनुभवी और युवा नेता के बीच है। गहलोत और सचिन दोनों पार्टी कार्यालय एक साथ पहुंचे, जहां पर पार्टी के कार्यकर्ता मौजूद थे। दोनों चुनाव के रिजल्ट को फॉलो करते नजर आए। दोनों ने ही अपने-अपने आवास में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। शाम को दोनों ही वेणुगोपाल और अविनाश पांडेय से मिलने खासा कोठी पहुंचे।
कांग्रेस ने केसी वेणुगोपाल को एआईसीसी का प्रेक्षक बनाकर राजस्थान भेजा गया है। वह यहां पर इस मुद्दे को सुलझाएंगे कि राजस्थान का सीएम कौन होगा। वेणुगोपाल ने कहा, 'पार्टी की परंपरा के अनुसार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ही प्रदेश में सीएम बनाए जाने को लेकर अंतिम फैसला लेंगे।' बता दें कि राजस्थान की कुल 200 में से 199 सीटों पर हुए चुनाव में कांग्रेस को 100 सीटों पर जीत मिली है। बीजेपी को 73 और बाकी को 25 सीटें मिली हैं। निर्दलीय आर. मीणा सहित कुछ दूसरे विधायकों ने अशोक गहलोत को सीएम बनाने पर समर्थन की बात कही है।
राजस्थान के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके अशोक गहलोत तीन बार राजस्थान में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं और 1982 में पहली बार इंदिरा गांधी सरकार में मंत्री बने थे। वे 1984 में राजीव गांधी सरकार में भी मंत्री बने और 1991 में पीवी नरसिम्हा राव सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे। 2018 में गहलोत को पार्टी में संगठन महासचिव की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई। वहीं, सचिन पायलट 2004 में राजस्थान के दौसा लोकसभा सीट से जीते। 2009 में गठित 15वीं लोकसभा में उन्होंने अजमेर का प्रतिनिधित्व किया था और 2012 से 2014 तक केंद्र में मंत्री भी रहे।
राजस्थान में कांग्रेस 100 सीटों पर है। इसलिए अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के आसार ज्यादा हैं। गहलोत संकट मोचक हैं और अन्य दलों से उनका मैनेजमेंट भी अच्छा है। इसके पहले भी जब गहलोत मुख्यमंत्री थे तो उन्हें पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। 96 सीटों के साथ कांग्रेस सरकार बनी थी और गहलोत ने सफलतापूर्वक पांच साल राज किया था। सचिन पायलट चूंकि नए हैं, इसलिए कम सीटों की सरकार में उनके सीएम बनने की संभावना कम है।
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