कुम्भ मेले में कल्पवास से होगी आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति
कुम्भ मेले में कल्पवास से होगी आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति लक्ष्मी शर्मा स्वतंत्र पत्रकार कुम्भ में पौष पूर्णिमा के पावन पर्व पर श्रद्धा की डुबकी के साथ ही संयम, अहिंसा, श्रद्धा एवं कायाशोधन के लिए तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की रेती पर कल्पवासियों ने डेरा जमा लिया। कल्पवास का अर्थ होता है संगम के तट पर निवास कर वेदाध्ययन और ध्यान करना। प्रयाग इलाहाबाद कुम्भ मेले में कल्पवास का अत्यधिक महत्व माना गया है। कल्पवास पौष माह के 11वें दिन से माघ माह के 12वें दिन तक रहता है। कुछ लोग माघ पूर्णिमा तक कल्पवास करते हैं। पुराणों और धर्मशास्त्रों में कल्पवास को आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए जरूरी बताया गया है। यह मनुष्य के लिए आध्यात्म की राह का एक पड़ाव है, जिसके जरिए स्वनियंत्रण एवं आत्मशुद्धि का प्रयास किया जाता है। हर वर्ष श्रद्धालु एक महीने तक संगम गंगा तट पर अल्पाहार, स्नान, ध्यान एवं दान करके कल्पवास करते है। कल्पवास पौष माह के 11वें दिन से माघ माह के 12वें दिन...