आतंकवाद पर प्रहार...बड़े सबक के बाद
अनीष व्यास
स्वतंत्र पत्रकार
रात जब पूरा देश गहरी नींद सो रहा था, तो ग्वालियर से उड़े 12 मिराज-2000 लड़ाकू विमानों ने हमें एक नई सुबह देने की भूमिका लिख दी। इतना ही नहीं, पाक अधिकृत कश्मीर के पार खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में गिराए गए एक हजार किलो के बमों ने उस पाकिस्तान की चेतना को बुरी तरह झझकोर दिया, जिसे अपने अस्तित्व को बरकरार रखने का एकमात्र फार्मूला आतंकवाद में ही नजर आता है। भारतीय बमवर्षकों का निशाना बालाकोट के वे आतंकी शिविर थे, जिन्हें मसूद अजहर का संगठन जैश-ए-मोहम्मद संचालित करता है। कुल 12 बम गिराए गए, लेकिन एक हजार किलो के बम का अर्थ यह तो है ही कि इनकी मार का क्षेत्र बहुत बड़ा होगा। कुछ अपुष्ट खबरों में बताया गया है कि हमले में दो से तीन सौ आतंकवादी मारे गए हैं। हालांकि पाकिस्तान यह मानने को तैयार नहीं है कि हमले का कोई बड़ा असर हुआ है। अपने दावे को सही ठहराने के लिए पाकिस्तानी फौज केे प्रवक्ता ने टूटे पेड़ों और उखड़ी मिट्टी के कुछ फोटो जारी किए हैं, जो उतने ही अविश्वसनीय हैं, जितने कि आतंकवाद के बारे में पाकिस्तान के बाकी दावे। खैबर पख्तूनख्वा में इस हमले का क्या असर रहा, इसके बारे में कुछ विदेशी एजेंसियों की रिपोर्ट भी आनी शुरू हो गई हैं। उम्मीद है कि जल्द ही हमारे पास सैटेलाइट इमेजिंग से मिली तस्वीरें भी होंगी, जो तबाही के मंजर को सही तरीके से बयान कर देंगी। बेशक पाकिस्तान इन्हें भी मानने से इनकार कर देगा, क्योंकि वह जिस राह पर है, उसमें नकार भाव में जीना ही उसकी नियति है। भारत ने ऑपरेशन को नॉन मिलेटरी प्रिवेंटिव स्ट्राइक यानी गैर सैन्य रक्षात्मक अभियान कहा है। इसे आम भाषा में सर्जिकल स्ट्राइक कहा जा रहा है, उसकी सही परिभाषा भी शायद यही है। यह सैनिक अभियान नहीं था, क्योंकि इसमें न सेनाओं को निशाना बनाया गया और न ही सैनिक ठिकानों को। इसमें किसी सैनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी नुकसान नहीं पहंुचाया गया। इसका निशाना सिर्फ आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविर थे। इनमें जैश-ए-मोहम्मद की अगुवाई में वे आतंकवादी प्रशिक्षण पा रहे थे, जिन्हें भारत पर हमला बोलने के लिए तैयार किया जा रहा था। इस अर्थ में भारत की यह कार्रवाई रक्षात्मक भी है। यह कुछ इस तरह से की गई है कि पाकिस्तान के पास जवाब में कुछ करने की गुंजाइश नहीं बची। इसीलिए वह एक तरफ तो इसका जरा भी असर पड़ने से इनकार कर रहा है, तो दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र में जाने का राग भी अलाप रहा है।
इस कार्रवाई की कामयाबी के बाद यह सोचना भी शायद नादानी होगी कि इस सबक के बाद पाकिस्तान सुधर जाएगा और वह आतंकवाद को शह देने से बाज आ जाएगा। पाकिस्तान के आतंकवाद को ध्वस्त करने की लड़ाई हमें अभी भी एक साथ कई मोर्चों पर लगातार लड़नी होगी। राजनयिक स्तर पर भी, राजनीतिक स्तर पर भी और सर्जिकल स्ट्राइक के स्तर पर भी। यह लंबी लड़ाई है, जिसके लिए लंबे धैर्य की जरूरत होगी। हमें पाकिस्तान को हर मोर्चे पर कड़ी टक्कर देते हुए यह सबक देना है कि आतंकवाद की नीति अंतत: पाकिस्तान को ही महंगी पड़ने वाली है। भारत ने कई दशकों तक पाक-प्रायोजित आतंकवाद झेले, लेकिन यह उसकी तरक्की को नहीं रोक सका, जबकि इसने पाकिस्तान को एक नाकाम मुल्क बना दिया है।
पुलवामा हमले के बाद अमेरिका और अन्य कई देशों ने हमारे पक्ष का समर्थन किया और स्पष्ट कहा कि भारत को आत्मरक्षा का अधिकार है। अमेरिका खुद भी पाकिस्तान की सीमा में गहराई तक घुसकर आतंकवाद के विरुद्ध इस तरह के कदम उठा चुका है। भारत ने साफ किया है कि यह हमला पाकिस्तान और पाकिस्तानियों के खिलाफ नहीं है। भारतीय वायुसेना ने केवल जैश-ए-मोहम्मद के उन ठिकानों को निशाना बनाया जो नागरिक इलाकों से दूर घने जंगल में पहाड़ियों पर थे। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी का कहना है कि पाकिस्तान माकूल समय पर इसका जवाब देगा। बेहतर होगा कि पाकिस्तान हालात को समझे। भारतीय कार्रवाई आतंकियों के खिलाफ है जिनसे खुद पाकिस्तान के लोग भी परेशान हैं। भारतीयों में आम पाकिस्तानियों के प्रति विद्वेष का भाव नहीं है। भारत चाहता है कि उसके पड़ोसी खुद चैन से रहें और हमें भी चैन से रहने दें। यह तभी संभव है जब पाकिस्तानी हुकूमत आतंकी संगठनों पर शिकंजा कसे।
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