लोकसभा चुनाव प्रचार में दोनों दलों ने झोंकी पूरी ताकत...!!
लोकसभा चुनाव प्रचार में दोनों दलों ने झोंकी पूरी ताकत...!!
अनीष व्यास
स्वतंत्र पत्रकार
लोकसभा चुनाव का काउंटडाउन पूरा होने वाला है। चुनाव प्रचार थमने में दो दिन ही बचे हैं और कांग्रेस व भाजपा दोनों ही दल पूरी ताकत झोंकने में लगे हैं। राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटें हैं। यहां चौथे चरण में 29 अप्रैल को 13 और पांचवें चरण में 6 मई को 12 लोकसभा सीटों पर वोट पड़ेंगे। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने सभी 25 सीटों पर कब्जा जमाया था। लेकिन बीजेपी के सामने इस बार 2018 के विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी करने वाली कांग्रेस की मजबूत चुनौती है।
राजस्थान में लोकसभा की 25 सीटों के लिए कुल 249 उम्मीदवार मैदान में उतरे हैं। राज्य में चुनाव दो चरण में होंगे। राज्य की 13 सीटों के लिए 29 अप्रैल को जबकि 12 सीटों के लिए छह मई को मतदान होगा।
दूसरे चरण में शामिल 12 लोकसभा क्षेत्रों में श्रीगंगानगर, बीकानेर, चूरू, झुंझूनूं, सीकर, जयपुर ग्रामीण, जयपुर, अलवर, भरतपुर, करौली-धौलपुर, दौसा और नागौर है। इन 12 सीटों के 23,783 मतदान केंद्रों पर 2.30 करोड़ से अधिक मतदाता मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे।
वहीं जिन जिन 13 लोकसभा सीटों के लिए पहले चरण में मतदान होना है उन पर कुल 115 उम्मीवार चुनावी मैदान में हैं। इन लोकसभा क्षेत्र में टोंक-सवाईमाधोपुर, अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, जालौर, उदयपुर, बांसवाड़ा, चितौड़गढ़, राजसमंद, भीलवाड़ा, कोटा और झालावाड़-बारां है।
मारवाड़ के राजनीति का केंद्र माना जाता है जोधपुर। राजस्थान और देश भर की निगाहें जोधपुर लोकसभा सीट पर टिकी हुई है। यहां पर मुकाबला राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत और पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार के केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच है। दोनों ही प्रत्याशियों का चुनाव प्रचार चरम पर है। दोनों ही प्रत्याशियों व पार्टियों के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न है। भाजपा प्रत्याशी गजेंद्रसिंह शेखावत के समर्थन में पीएम मोदी की चुनावी सभा के बाद अब शुक्रवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रोड शो किया । शाह के रोड शो के मुकाबले सीएम अशोक गहलोत ने पूरे शहर की वार्ड परिक्रमा की । कांग्रेस के उम्मीदवार और अपने पुत्र वैभव गहलोत को जिताने के लिए खुद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आज जोधपुर दौरे पर है। आज सुबह से ही अशोक गहलोत शहर के विभिन्न क्षेत्रों में जनसंपर्क करने के साथ ही वैभव गहलोत को आर्शीवाद देकर जिताने की अपील भी कर रहे है। वे 12 घंटे में नगर निगम के 58 वार्डों में गए और हर जगह पांच से दस मिनट रुककर प्रमुख लोगों से संपर्क किया । गहलोत वार्ड परिक्रमा सुबह नौ बजे एयरपोर्ट से पाबूपुरा जाकर वहां से शुरू किया और रात पौने दस बजे खेतानाडी में पूरी की । इधर चुनाव प्रचार के आखिरी दिन शनिवार को भाजपा के लिए अभिनेत्री हेमा मालिनी प्रचार करेंगी। वहीं कांग्रेस के लिए सीएम गहलोत भीतरी शहर में रोड शो के बाद घंटाघर में सभा को संबोधित करेंगे।
राजस्थान के शेखावाटी इलाके में बीजेपी के लिए 'मोदी' फैक्टर काम करता दिख रहा है। पाकिस्तान में हुए हवाई हमले और किसानों के लिए कर्ज माफी जैसे मुद्दे यहां के लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बने हुए हैं, वहीं सिंचाई और पीने के पानी की कमी और विकास जैसे मुद्दे पर काफी कम लोग बात कर रहे हैं। हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस इलाके में अच्छा प्रदर्शन किया था।
सीकर में इस बार बीजेपी के मौजूदा सांसद सुमेधानंद सरस्वती, कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पूर्व बीजेपी सांसद सुभाष महारिया और सीपीएम उम्मीदवार अमराराम के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। 2014 के लोकसभा चुनाव में जहां बीजेपी ने कांग्रेस को 2 लाख वोटों के अंतर से हराया था, वहीं दिसंबर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां की 8 विधानसभा सीटों में से 6 पर जीत दर्ज की थी। सीकर में 70 पर्सेंट मतदाता कृषि से जुड़े हुए हैं।
पिछले चुनाव में बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बाद उसके उम्मीदवार सुमेधानंद सरस्वती के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले सुभाष महारिया ने कहा, 'कांग्रेस ने किसानों के लिए काफी काम किए हैं। हमें विधानसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी उनका आशीर्वाद मिलेगा।'
महारिया सीकर से तीन बार सांसद रह चुके हैं और वाजपेयी सरकार के दौरान वह केंद्र में मंत्री भी थे। 2014 के चुनाव में वह 1.88 लाख वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे, जबकि सरस्वती ने 4.99 लाख वोट पाकर जीत हासिल की थी। कांग्रेस उम्मीदवार पी एस जाट को तब 2.6 लाख वोट मिले थे।
बीजेपी सांसद सरस्वती ने कहा, 'कांग्रेस ने पिछले 70 सालों में कुछ नहीं किया है। कर्ज माफी योजना दिखावा है। हम यहां सभी वादे पूरे करेंगे।' सरस्वती योग गुरु रामदेव के दोस्त हैं और इनके जरिए वह अपने संसदीय क्षेत्र के यादव वोटरों को अपने साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं।
बगल की झुंझुनूं सीट पर कांग्रेस पूरे दमखम के साथ मैदान में है। जाट बहुल इस संसदीय क्षेत्र में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 8 में से 5 सीटें जीती थीं। वहीं बीजेपी के खाते में 2 और एक सीट बीएसपी के खाते में गई थी। बीजेपी ने यहां से अपने मौजूदा सांसद संतोष अहलावत का टिकट काटकर नरेंद्र खींचर को उम्मीदवार बनाया है। शीशराम ओला परिवार का गढ़ मानी जाने वाली इस सीट से कांग्रेस ने श्रवण कुमार को टिकट दिया है। श्रवण को शीशराम की बहू राजबाला ओला की जगह टिकट दिया गया है, जो पिछले चुनाव में अहलावत से हार गई थीं। दोनों ही पार्टियों को यहां अपने ही कार्यकर्ताओं के असंतोष का सामना करना पड़ रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जो भी पार्टी कार्यकर्ताओं के असंतोष से निपटने और उन्हें साथ लाने में सफल रहेगी, वह जीत हासिल कर सकती है।
नागौर ऐसी सीट है, जहां जातियों की भावनात्मक लहर ही जीत का आधार बनती रही है। इसी आधार पर गठबंधन हुआ है इसलिए गठबंधन का उम्मीदवार अभी आगे चल रहा है। दूसरे चरण की सभी 12 सीटें जातियों के मजबूत किलों से घिरी हुई हैं। राज्य की 4 सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं। ये सीटें हैं- बीकानेर, श्रीगंगानगर, भरतपुर, करौली-धौलपुर। इन चारों पर वही जीतेगा जो जातीय सियासत के समीकरणों के दांव ठीक से लगाएगा। करीब डेढ़ दशक से जातिवाद की प्रयोगशाला बनी एसटी आरक्षित सीट दौसा में भी 6 मई को वोट डलेंगे। यह अकेली सीट है, जहां कांग्रेस और भाजपा दोनों ने महिला प्रत्याशी उतारे हैं।
भाजपा से जसकौर मीणा और कांग्रेस से सविता मीणा आमने-सामने हैं। निर्दलीय अंजु धानका ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। यह सीट इसलिए अहम है, क्योंकि यह दो जातीय दिग्गज किराेड़ी बैसला और किरोड़ी मीणा का प्रभाव क्षेत्र है। दोनों इस बार भाजपा में हैं। देखना होगा कि जातीय किलों की दीवारों की परतों से खींचकर ये दोनों नेता भाजपा को जीत के दरवाजे तक ला पाते हैं या नहीं। एससी और एसटी की इन पांचों सीटों पर जैसे रूझान मिल रहे हैं उससे यही लगता है कि यहां हार-जीत का अंतर उन्नीस-बीस का ही रहेगा। यहां कोई लहर नहीं है। राजस्थान का जाटलैंड कहा जाने वाला शेखावाटी भी दूसरे चरण में ही अपना नेतृत्व चुनेगा। सीकर, चूरू और झुंझनूं में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए आसान नहीं है।
शीर्ष नेताओं और कार्यकर्ताओं में आपसी कलह दलों को परेशान कर रही है। भाजपा के सामने 2014 का प्रदर्शन दोहराने की चुनौती है जबकि कांग्रेस को यह साबित करना है कि राज्य में उसकी सरकार है। सीकर से भाजपा ने सांसद सुमेधानंद को फिर टिकट दिया है। सामने कांग्रेस के सुभाष महरिया हैं। शेखावटी में भी धर्म-जाति- भावनाओं-संवेदनाओं की ऐसी खिचड़ी पकी हुई है कि दिग्गज जाट नेता भी डरे हुए हैं। चूरू में भाजपा की फिलहाल बढ़त है लेकिन सीकर और झुंझनूं में कांटे का मुकाबला है। भाजपा ने अलवर में भी धार्मिक ध्रुवीकरण का पांसा फेंका है। यहां बाबा बालकनाथ का मुकाबला कांग्रेस के जितेंद्र सिंह से है। दोनों ही जीत के लिए स्थानीय मुहावरों और जुमलों का इस्तेमाल कर रहे हैं लेकिन सियासी खेमेबंदी से दोनों ही परेशान हैं। अलवर में मुकाबला बराबरी का दिख रहा है।
जयपुर ग्रामीण सीट पर चुनावी फिज़ा अलग है। मुकाबला दो पूर्व ऑलिंपियन्स में है। ओलिंपिक निशानेबाजी के सिल्वर मेडल विजेता व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का मुकाबला दूसरी ओलिंपियन कांग्रेस की कृष्णा पूनिया से है। राज्यवर्धन पुराना चेहरा हैं, छवि भी अच्छी है। सीट पर भाजपा की पकड़ भी मजबूत है लेकिन कांग्रेस ने कृष्णा को उतारकर सियासी खेल रोचक बना दिया है। जयपुर शहर की सीट पर कांग्रेस ने पहली बार एक महिला पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल को टिकट दिया है, जिनका मुकाबला पिछले चुनाव में राजस्थान में सबसे ज्यादा वोटों से जीते भाजपा के रामचरण बोहरा से है। जयपुर सीट भाजपा के कब्जे में रही है। संघ के पूरे कामकाज का जयपुर केंद्रबिंदु भी है। इस सीट को भाजपा से छीनना आसान नहीं है। यहां विधानसभा चुनाव में 8 में से 5 सीटें कांग्रेस ने जीती थी। किंतु वोट शेयरिंग में भाजपा कांग्रेस से आगे थी।
केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राजस्थान चुनाव प्रभारी प्रकाश जावडेकर ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव के पहले तीन चरण के मतदान के बाद बीजेपी और एनडीए ऐतिहासिक जीत की ओर बढ़ गए हैं। उन्होंने भरोसा जताया कि बीजेपी राज्य की सभी सीटों पर जीत दर्ज करेगी। जावडेकर ने यहां बीजेपी मुख्यालय में
संवाददाताओं से कहा, ‘लोकसभा के तीन चरणों में 300 सीटों पर चुनाव हुआ है और बीजेपी को अधिक विश्वास हो चला है कि हम ऐतिहासिक विजय की ओर चले हैं और बीजेपी एनडीए मिलकर ऐतिहासिक जीत दर्ज करेंगे।’ उन्होंने कहा, ‘पहली बार भारत यह अनुभव कर रहा है कि सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में एक लहर है। हमेशा एक 'एंटी इनकंबेसी' की बात सुनते रहे हैं लेकिन पहली बार है कि 'प्रो इंनकंबेसी' की बात है। ’
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