राष्ट्रवाद की आंधी में उखड़ गये गठबंधन के खंभे

देश में दोबारा मोदी सरकार तय
पूरे देश में चली मोदी नाम की सुनामी
  • भारत एक बार फिर जीता : मोदी
    राष्ट्रवाद की आंधी में उखड़ गये गठबंधन के खंभे
    • फिर एक बार भाजपा सरकार...पूरे देश में प्रचंड मोदी लहर

अनीष व्यास 
स्वतंत्र पत्रकार

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत को भारत की जीत बताया और कहा कि सभी मिलकर एक मजबूत एवं समावेशी भारत का निर्माण करेंगे ।

मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘ सबका साथ + सबका विकास + सबका विश्वास = विजयी भारत ।’’ उन्होंने कहा,‘‘ हम साथ मिलकर बढ़ेंगे, साथ मिलकर समृद्ध बनेंगे और साथ मिलकर ही एक मजबूत एवं समावेशी भारत का निर्माण करेंगे।’’ मोदी ने कहा ,‘‘ भारत एक बार फिर जीता । विजयी भारत।’’ इससे पहले भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘ यह जीत पूरे भारत की जीत है। देश के युवा, गरीब, किसान की आशाओं की जीत है। यह भव्य विजय प्रधानमंत्री मोदी जी के पांच साल के विकास और मजबूत नेतृत्व में जनता के भरोसे की जीत है। ’’ भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘ मैं भाजपा के करोड़ों कार्यकर्ताओं की ओर से नरेन्द्र मोदी जी को हार्दिक बधाई देता हूं।’’ शाह ने कहा कि जन-जन के विश्वास और अभूतपूर्व विकास की प्रतीक ‘मोदी सरकार’ बनाने के लिए भारत की जनता को कोटि-कोटि नमन। सभी देशवासियों को बहुत-बहुत बधाई।


गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार ' प्रचंड मोदी लहर' पर सवार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) रिकॉर्ड सीटों के साथ केंद्र की सत्ता पर काबिज होने जा रही है। निर्वाचन आयोग की ओर से बृहस्पतिवार को जारी मतगणना के रुझानों के अनुसार भाजपा जहां 292 सीटों पर आगे चल रही थी वहीं, कांग्रेस 50 सीटों पर आगे थी। आयोग ने 542 सीटों के रुझान जारी किये हैं।

लोकसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार ' प्रचंड मोदी लहर' पर सवार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) रिकॉर्ड सीटों के साथ केंद्र की सत्ता पर काबिज होने जा रही है। निर्वाचन आयोग की ओर से गुरुवार को जारी मतगणना के रुझानों के अनुसार बीजेपी 301 सीटों पर आगे चल रही थी वहीं, कांग्रेस 52 सीटों पर आगे थी। आयोग ने 542 सीटों के रुझान जारी किये हैं। भारत के इतिहास में यह पहली बार है कि कोई गैर कांग्रेसी दल दूसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। दस में से नौ एग्जिट पोल में एनडीए को बहुमत का अनुमान जताया गया था। आजतक माईएक्सिस इंडिया ने एनडीए को सबसे ज्यादा 340 सीटें मिलने का अनुमान जताया था। गौरतलब है कि 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों के मतदान में करीब 67 फीसदी मतदान हुआ, जो अब तक का रिकॉर्ड है। 
वाराणसी में मोदी एक लाख वोटों से आगे
देश की सबसे हाई प्रोफाईल वाराणसी लोकसभा सीट से नरेंद्र मोदी ने दोबारा अपना झंडा बुलंद कर दिखाया है। हालांकि अभी मतगणना जारी होने के कारण आधिकारिक एलान नहीं किया गया है, लेकिन अब तक के रुझान के मुताबिक अपने सामने खड़े सभी प्रत्याशियों को पीछे छोड़ते हुए मोदी करीब साढ़े चार लाख वोटों से आगे चल रहे हैं। ऐसे में उनकी जीत का रास्ता साफ नजर आ रहा है।

पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को 3.37 लाख वोटों से हरा कर वाराणसी से जीत हासिल की थी और प्रधानमंत्री बने थे। उस वक्त इस निर्वाचन क्षेत्र में 58.31%  फीसदी मतदान हुआ था।
यहां कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय तीसरे स्थान पर खिसक चुके हैं और सपा प्रत्याशी शालिनी यादव दूसरे स्थान पर हैं। शालिनी यादव ने वोटों में हेराफेरी का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से दखल देने की मांग की और काउंटिंग स्थल के बाहर आ गईं।
अमेठी से राहुल पीछे
अमेठी में कांग्रेस प्रत्याशी और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी 3557 वोटों से पीछे हैं और यहां अप्रत्याशित परिणाम देखने को मिल सकता है। पिछली बार राहुल की जीत का आंकड़ा तीन लाख से एक लाख वोटों पर लाने वाली केंद्रीय मंत्री और भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी सबको चौंका सकती हैं। 


मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस मटियामेट हो गई
मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़। तीन ऐसे राज्य जहां नवंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद गाजे-बाजे के साथ कांग्रेस की सरकार बनी। लेकिन आज की तारीख में वो तीन राज्य भी जहां से कांग्रेस के लिए बुरी खबरों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। तीनों ही सूबों में कांग्रेस की मिट्टी पलीद होती दिख रही है। 
मध्यप्रदेश में छिंदवाड़ा सीट पर मुख्यमंत्री कमल नाथ के बेटे नकुल नाथ को छोड़ दिया जाए तो प्रदेश की 29 में से 28 सीटों पर भाजपा का कब्जा जमता नजर आ रहा है। उधर, राजस्थान की सभी 25 सीटों पर एनडीए मजबूत बढ़त बनाए हुए हैं। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा था। यहां की 90 सीटों में से कांग्रेस ने 68 सीटें जीती थीं। लेकिन यहां भी कांग्रेस को हताशा का सामना करना पड़ा है। बस्तर और कोरबा को छोड़कर पार्टी राज्य की 11 में से 9 सीटों पर पीछे है। 

नवंबर से मई तक ऐसा क्या हो गया?
जिन तीन राज्यों में कांग्रेस ने सरकार बनाई उनमें लोकसभा सीटों के आंकड़े को जोड़ दिया जाए तो कुल सीट होती हैं-- 65। इनमें से भाजपा 62 सीटों पर मजबूती से आगे चल रही है। ये 2014 में भाजपा के प्रदर्शन का रिपीट टेलीकास्ट है। वो भी तब जब कांग्रेस न सिर्फ तीनों राज्यों में सरकार चला रही है बल्कि किसान कर्ज माफी के दावे को हकीकत में बदलने पर अपनी पीठ हर मंच पर थपथपा रही है। कारणों पर आगे चलें उससे पहले नवंबर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन देखिए:

मध्यप्रदेश- 230 सीट में 114 सीट
राजस्थान- 200 में से 99 सीट
छत्तीसगढ़- 90 में से 68 सीट


अब बात करते हैं उन चीजों की जिनकी वजह से कांग्रेस को इतनी करारी हार का सामना करना पड़ा।

इन कारणों से मिली हार

जब कांग्रेस जीत कर आई तो माना गया कि इसमें किसान कर्ज माफी के एलान की बड़ी भूमिका रही। लेकिन ये योजना जिस अफरा तफरी के माहौल के बीच लागू की गई, जिस अव्यवस्था के आलम में अस्तित्व में आई, उसने विरोधियों को कांग्रेस की घेराबंदी का मौका दे दिया। तीनों ही राज्यों से किसानों की शिकायत की खबर आई। हजारों की संख्या में ऐसे किसान आए जिन्होंने कर्ज माफी का लाभ न मिलने की बात कही। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले मुद्दे को पूरी तरह समझते हुए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मोर्चा खोल दिया। माना जा रहा है कि इस मोर्चे पर खासकर मध्यप्रदेश में पार्टी को खासा नुकसान उठाना पड़ा। बिजली संकट ने भी कांग्रेस को बैकफुट पर धकेलने का काम किया। 

'रानी तेरी खैर नहीं, मोदी तुझसे बैर नहीं'

राजस्थान में विधानसभा चुनाव में भी ये नारा खूब चला- रानी तेरी खैर नहीं, मोदी तुझसे बैर नहीं। यानी प्रदेश की जनता वसुंधरा राजे को सबक सिखाने के मूड में तो आ चुकी थी लेकिन मोदी से अदावत लोगों के जेहन में नहीं थी। इसका असर राजस्थान के नतीजों में साफ दिखता है जहां कांग्रेस खाता तक नहीं खोल सकी और भाजपा सभी 25 सीटें जीतती नजर आ रही है। जहां 24 सीटें अकेले भाजपा जीत रही है वहीं एक सीट सहयोगी, राष्ट्रीय लोक दल के हनुमान बेनीवाल जीत रहे हैं।

लोकसभा चुनाव तो पूरे देश में हुए। पर चुनाव का एक प्रमुख केंद्रबिंदू पश्चिम बंगाल था। चुनाव परिणामों ने साबित किया है कि पश्चिम बंगाल में अब ममता बनर्जी का किला भी कमजोर होने लगा है। भाजपा ने राज्य में अप्रत्याशित सफलता पाई है। इसका श्रेय निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का कुशल प्रबंधन औऱ राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की दीर्घकालिक योजनाओं को जाता है।
त्रिपुरा के बाद यह दूसरा राज्य पूर्व में इलाके में है, जहां भाजपा ने जबरजस्त सेंध लगा दी है। ये राज्य इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि ये दोनों राज्य किसी समय मे लेफ्ट के गढ़ थे। चुनाव परिणामों ने साफ संकेत दिए है कि बंगाल में अब विधानसभा चुनाव दिलचस्प होगा। लोकसभा में भाजपा 18 सीटें बंगाल में जीत सकती है। चुनावी ट्रेंड के मुताबिक तृणमूल 23 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है। सीपीएम का बंगाल में सफाया हो गया है।

बंगाल की रोचक कहानी
कांग्रेस 1 सीट जीत रही है। टीएमसी के लिए खतरे की घंटी यह है कि भाजपा को राज्य में 41 प्रतिशत वोट मिले है। जबकि टीएमसी को 39.55 प्रतिशत वोट मिले है। पश्चिम बंगाल को भाजपा और टीएमसी ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था। आज के चुनाव परिणाम बता रहे है कि भाजपा ने राज्य के कई इलाकों में सफलता पायी है।

अंतिम चरण के चुनाव से ठीक पहले बंगाल में जोरदार हिंसा हुई थी। कोलकाता में अमित शाह के रोड शो के दौरान हिंसा हुई। चपेट में ईश्वरचंद्रविदा सागर की मूर्ति आ गई अमित शाह को अपना रोड शो बीच में ही रोकना पड़ा। चुनावों के दौरान नरेंद्र मोदी औऱ ममता बनर्जी की दुश्मनी व्यक्तिगत स्तर पर आ गई थी। दोनों की दुश्मनी इस हदतक पहुंच गई है कि जेल भेजने तक की धमकी तक दे डाली। 

2014 चुनाव की तर्ज पर नरेंद्र मोदी की सुनामी की लहर पर सवार होकर 2019 का महासंग्राम भी भाजपा ने अपने नाम कर लिया। अब तक के रुझान बता रहे हैं कि भाजपा अपने सहयोगियों के साथ 330 से ज्यादा सीट हासिल करती दिख रही है। लेकिन मोदी की सुनामी के बीच कुछ ऐसे राज्य भी रहे जहां उनका जादू नहीं चल सका। ये तीनों राज्य दक्षिण भारत से हैं।
आंध्र प्रदेश 
इस प्रदेश में भाजपा और मोदी का असर काम नहीं आया। सीएम चंद्रबाबू नायडू ने भाजपा और मोदी के खिलाफ जबरदस्त मुहिम छेड़ी थी। हालांकि नायडू को खुद इसका फायदा नहीं हुआ और बाजी जगनमोहन रेड्डी बाजी मार ले गए। उन्होंने लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीटें तो जीती हीं, विधानसभा चुनाव में भी प्रचंड बहुमत हासिल किया। नायडू दिल्ली में भागदौड़ करते रहे और उनकी कुर्सी जाती रही।
तमिलनाडु 
इस राज्य में भी मोदी का जादू नहीं चल सका। भाजपा ने यहां अन्नाद्रमुक के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया था। लेकिन ये फैसला सही साबित नहीं हुआ। विपक्षी द्रमुक ने कांग्रेस के साथ मिलकर भाजपा-अन्नाद्रमुक को धूल चटा दी। भाजपा को इस समझौते का कोई फायदा नहीं मिला। ऐन वक्त पर राहुल गांधी का फैसला कांग्रेस के लिए सही साबित हुआ अन्यथा यूपीए का ग्राफ और नीचे चला जाता।
केरल
केरल में भी भाजपा को कोई फायदा नहीं हुआ। कयास लग रहे थे कि इस बार मोदी मैजिक के सहारे केरल में भाजपा मजबूत मौजूदगी दर्ज कराएगी। लेकिन ये सिर्फ कयास ही साबित हुए। केरल में भाजपा और संघ की मेहनत का फिलहाल कोई नतीजा नहीं निकला है।
2014 में भी भाजपा ने इन राज्यों में इसी तरह का प्रदर्शन किया था। हालांकि उसने कर्नाटक में शानदार प्रदर्शन किया है। एक तरह से भाजपा को दक्षिण में अपनी पैठ बनाने के लिए अभी लंबा सफर तय करना होगा तभी वह सही मायनों में अखिल भारतीय पार्टी बन सकेगी। 

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