सावन में करे शिव आराधना...दूर होगें सारे कष्ट...!!

हर हर महादेव...ऊॅ नमः शिवायः 

सावन में करे शिव आराधना...दूर होगें सारे कष्ट...!!



अनीष व्यास 
स्वतंत्र पत्रकार


सावन का महीना और चारों और हरियाली। भारतीय वातावरण में इससे अच्छा कोई और मौसम नहीं बताया गया है। जुलाई आखिर में आने वाले इस मौसम में, ना बहुत अधिक गर्मी होती है और ना ही बहुत ज्यादा सर्दी। वातावरण को अगर एक बार को भूला भी दिया जाए, किन्तु अपने आध्यात्मिक पहलू के कारण सावन के महीने का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व बताया गया है। सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित रहता है। इस माह में विधि पूर्वक शिवजी की आराधना करने से, मनुष्य को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं।
इस माह में भगवान शिव के 'रुद्राभिषेक' का विशेष महत्त्व है। इसलिए इस माह में, खासतौर पर सोमवार के दिन 'रुद्राभिषेक' करने से शिव भगवान की कृपा प्राप्त की जा सकती है। अभिषेक कराने के बाद बेलपत्र, शमीपत्र, कुशा तथा दूब आदि से शिवजी को प्रसन्न करते हैं और अंत में भांग, धतूरा तथा श्रीफल भोलेनाथ को भोग के रूप में समर्पित किया जाता है।

हजारों सालों से विज्ञान 'शिव' के अस्तित्व को समझने का प्रयास कर रहा है। जब भौतिकता का मोह खत्म हो जाए और ऐसी स्थिति आए कि ज्ञानेंद्रियां भी बेकाम हो जाएं, उस स्थिति में शून्य आकार लेता है, और जब शून्य भी अस्तित्वहीन हो जाए तो वहां शिव का प्राकट्य होता है। शिव यानी शून्य से परे। जब कोई व्यक्ति भौतिक जीवन को त्याग कर सच्चे मन से मनन करे तो शिव की प्राप्ति होती है। उन्हीं एकाकार, अलौकिक, शिव और देवों के देव महादेव का प्रिय महीना सावन का है।

सावन की पौराणिक कथा
सावन माह के बारे में एक पौराणिक कथा है कि- "जब सनत कुमारों ने भगवान शिव से सावन महीना प्रिय होने का कारण पूछा तो भगवान भोलेनाथ ने बताया कि “जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योगशक्ति से शरीर त्याग किया था, उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण किया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती के नाम से हिमाचल और रानी मैना के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के सावन महीने में निराहार रह कर कठोर व्रत किया और शिव को प्रसन्न कर उनसे विवाह किया, जिसके बाद ही महादेव के लिए यह विशेष हो गया”।
वैसे सावन की महत्ता को दर्शाने के लिए और भी अन्य कई कहानी बताई गयी हैं जैसे कि मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु के लिए सावन माह में ही घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी।
कुछ कथाओं में वर्णन आता है कि इसी सावन महीने में समुद्र मंथन किया गया था। मंथन के बाद जो विष निकला, उसे भगवान शंकर ने पीकर सृष्टि की रक्षा की थी।
किन्तु कहानी चाहे जो भी हो, बस सावन महीना पूरी तरह से भगवान शिव जी की आराधना का महीना माना जाता है। यदि एक व्यक्ति पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करता है, तो यह सभी प्रकार के दुखों और चिंताओं से मुक्ति प्राप्त करता है।
सावन के सोमवार से प्रसन्न हो जाते हैं शिव भगवान:-
सावन महीने के प्रत्येक सोमवार को शिव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव के ध्यान से विशेष लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यह व्रत भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए किये जाते हैं। व्रत में भगवान शिव का पूजन करके एक समय ही भोजन किया जाता है। साथ ही साथ गले में गौरी-शंकर रूद्राक्ष धारण करना भी शुभ रहता है।
भोले बाबा सभी देवो में सबसे सरल और भोले माने गए हैं। इन्‍हें हिंदू धर्म में बड़ी श्रद्धा के साथ पूजा जाता है। माना जाता है कि सावन में शिव जी का व्रत रखने से कुंवारी कन्‍याओं को मनचाहा वर और कुवारें लड़कों को मनचाही वधु की प्राप्‍ति होती है। यदि आपने भी भोले बाबा को प्रसन्‍न करने के लिये सावन सोमवार का व्रत रखा है तो बताए गए शुभ मुहूर्त में जल चढ़ाएं पूरा श्रावण मास जप,तप और ध्यान के लिए उत्तम होता है, लेकिन इसमें सोमवार का विशेष महत्व है सोमवार का दिन चन्द्र ग्रह का दिन होता है और चन्द्रमा के नियंत्रक भगवान शिव हैं। अतः इस दिन पूजा करने से न केवल चन्द्रमा बल्कि भगवान शिव की कृपा भी मिल जाती है कोई भी व्यक्ति जिसको स्वास्थ्य की समस्या हो, विवाह की मुश्किल हो या दरिद्रता छाई होअगर सावन के हर सोमवार को विधि पूर्वक भगवान शिव की आराधना करता है तो तमाम समस्याओं से मुक्ति पा जाता है सोमवार और शिव जी के सम्बन्ध के कारण ही मां पार्वती ने सोलह सोमवार का उपवास रखा थासावन का सोमवार विवाह और संतान की समस्याओं के लिए अचूक माना जाता है। भगवान शिव की पूजा के लिए और खास तौर से वैवाहिक जीवन के लिए सोमवार की पूजा की जाती है। अगर कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह होने में अडचने आ रही हों तो संकल्प लेकर सावन के सोमवार का व्रत किया जाना चाहिए
पूजा विधि-
सोमवार को शिव मंदिर जाकर शुद्ध आसन पर बैठकर शिवलिंग का जलाभिषेक करें। 108 बेलपत्र पर राम नाम लिखकर चढ़ाएं। गाय का दूध लें। पहले दूध अर्पित करें। अब इत्र से भगवान को स्नान कराके गुलाल लगाएं। फिर गंगाजल से शिव जी का अभिषेक करें। शहद भी अर्पित करें। पूरे शिवलिंग को पुष्पों, बेलपत्र तथा अबीर , गुलाल, चंदन से समर्पित कर श्रृंगार करें।पीली धोती शिवलिंग पर चढ़ाएं। माता पार्वती को चुनरी चढ़ाएं। पूरे शिव परिवार को जल दें।अब भगवान की विधिवत आरती करें। अपनी  मनोकामनाएं कहें। शिवलिंग के एकदम नीचे वाले भाग के पास मस्तक को रखकर प्रणाम करें। अब अपनी मनोकामना नंदी से कहें। नंदी के कान में अपनी बातें कहने से मन चाही मनोकामना की पूर्ति होती है
कांवड़ का महीना:-
सावन के महीने में भक्त, गंगा नदी से पवित्र जल या अन्य नदियों के जल को मीलों की दूरी तय करके लाते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। कलयुग में यह भी एक प्रकार की तपस्या और बलिदान ही है, जिसके द्वारा देवो के देव महादेव को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है।

आप सभी को सावन माह की हार्दिक शुभकामनाएं... देवों के देव महादेव आप सभी के सारे कष्ट दूर करें 

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