सौभाग्य की प्राप्ति का पर्व...हरताल‍िका तीज

सौभाग्य की प्राप्ति का पर्व...हरताल‍िका तीज

रंजीता व्यास 
लेखिका 

हरताल‍िका तीज की महिमा को अपरंपार माना गया है हिन्‍दू धर्म में विशेषकर सुहागिन महिलाओं के लिए इस पर्व का महात्‍म्‍य बहुत ज्‍यादा है हरतालिका तीज व्रत हिंदू धर्म में मनाये जाने वाला एक प्रमुख व्रत है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। दरअसल भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। हरतालिका तीज व्रत कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था। हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हरियाली तीज और कजरी तीज की तरह ही हरतालिका तीज के दिन भी गौरी-शंकर की पूजा की जाती हैहरतालिका तीज का व्रत बेहद कठिन है इस दिन महिलाएं 24 घंटे से भी अधिक समय तक निर्जला व्रत करती हैं यही नहीं रात के समय महिलाएं जागरण करती हैं और अगले दिन सुबह विधिवत्त पूजा-पाठ करने के बाद ही व्रत खोलती हैं  मान्‍यता है कि हरतालिका तीज का व्रत करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लंबी होती है जबकि कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है यह त्‍योहार मुख्‍य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्‍थान और मध्‍य प्रदेश में मनाया जाता है कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इस व्रत को "गौरी हब्‍बा" के नाम से जाना जाता है
लेकिन इस बार जन्‍माष्‍टमी की ही तरह हरतालिका तीज की तिथि को लेकरक असमंजस की स्थिति बन गई है महिलाओं को समझ नहीं आ रहा है कि आखिर किस दिन हरतालिका तीज का व्रत रखा जाना चाहिए कुछ लोग कह रहे हैं कि व्रत 1 सितंबर को होगा, जबकि कुछ लोग 2 सितंबर को व्रत रखने की सलाह दे रहे हैं

हरतालिका तीज की तिथि को लेकर असमंजस क्‍यों?
हरतालिका तीज का व्रत भादो माह की शुक्‍ल पक्ष तृतीया यानी कि गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले रखा जाता है। अब समस्‍या यह है कि इस साल पंचांग की गणना के अनुसार तृतीया तिथि का क्षय हो गया है यानी कि पंचांग में तृतीया तिथि का मान ही नहीं है इस हिसाब से 1 सितंबर को जब सूर्योदय होगा तब द्वितीया तिथि होगी, जो कि 08 बजकर 27 मिनट पर खत्‍म हो जाएगी इसके बाद तृतीया तिथि लग जाएगी. ज्‍योतिषियों के मुताबिक तृतीया तिथि अगले दिन यानी कि दो सितंबर को सूर्योदय से पहले ही सुबह 04 बजकर 57 मिनट पर समाप्‍त हो जाएगी ऐसे में असमंजस इस बात का है कि जब तृतीया तिथि को सूर्य उदय ही नहीं हुआ तो व्रत किस आधार पर रखा जाए 


01 सितंबर को क्‍यों रखें हरतालिका तीज का व्रत?
इस बार हरतालिका तीज की तिथि को लेकर काफी असमंजस है। व्रत किस दिन रखा जाए इस बात को लेकर पंचांग के जानकार और ज्‍योतिषियों में भी मतभेद है कुछ जानकारों का कहना है कि हरतालिका तीज का व्रत 1 सितंबर को ही रखा जाना चाहिए क्‍योंकि तब दिन भर तृतीया रहेगी तर्क यह भी है कि हरतालिका तीज का व्रत हस्‍त नक्षत्र में किया जाता है, जो कि 1 सितंबर को है. इसलिए व्रत 1 सितंबर को रखा जाना चाहिएजानकारों का कहना है अगर आप 2 सितंबर को व्रत रखते हैं तो उस दिन सूर्योदय के बाद चतुर्थी लग जाएगी. ऐसे में तृतीया तिथि का व्रत मान्‍य नहीं होगा
02 सितंबर को क्‍यों रखें हरतालिका तीज का व्रत?
कुछ जानकारों का मानना है कि हरतालिका तीज का व्रत 1 सितंबर की बजाए 2 सितंबर को रखा जाना चाहिए उनका तर्क है कि ग्रहलाघव पद्धति से बने पंचांग के अनुसार 2 सितंबर को सूर्योदय के बाद सुबह 8 बजकर 58 मिनट तक तृतीया तिथि रहेगी और फिर चतुर्थी लग जाएगी यानी कि तृतीया तिथि में सूर्योदय होगा इसके अलावा कुछ विद्वानों को यह भी मानना है कि चतुर्थी युक्‍त तृतीया को बेहद सौभाग्‍यवर्द्धक माना जाता है ऐसे में 2 सितंबर को तृतीया का पूर्ण मान, हस्त नक्षत्र का उदयातिथि योग और सायंकाल चतुर्थी तिथि की पूर्णता तीज पर्व के लिए सबसे उपयुक्‍त है
कुछ जानकारों का कहना है कि हरतालिका तीज का व्रत 1 सितंबर को ही रखा जाना चाहिए क्‍योंकि तब दिन भर तृतीया रहेगी तर्क यह भी है कि हरतालिका तीज का व्रत हस्‍त नक्षत्र में किया जाता है, जो कि 1 सितंबर को है वहीं कुछ का मानना है कि हरतालिका तीज का व्रत 1 सितंबर की बजाए 2 सितंबर को रखा जाना चाहिए उनका मानना है कि चतुर्थी युक्‍त तृतीया को बेहद सौभाग्‍यवर्द्धक माना जाता है। ऐसे में 2 सितंबर को तृतीया का पूर्ण मान, हस्त नक्षत्र का उदयातिथि योग और सायंकाल चतुर्थी तिथि की पूर्णता तीज पर्व के लिए सबसे उपयुक्‍त है हमारी राय में आप पहले अपने पंडित जी या ज्‍योतिषि से हरतालिका तीज की तिथि की पुष्टि कर लें और उसी के हिसाब से व्रत करें
हरतालिका तीज का महत्‍व 
सभी चार तीजों में हरतालिका तीज का विशेष महत्‍व है। हरतालिका दो शब्‍दों से मिलकर बना है- हरत और आलिका. हरत का मतलब है 'अपहरण' और आलिका यानी 'सहेली'. प्राचीन मान्‍यता के अनुसार मां पार्वती की सहेली उन्‍हें घने जंगल में ले जाकर छिपा देती हैं ताकि उनके पिता भगवान विष्‍णु से उनका विवाह न करा पाएं सुहागिन महिलाओं की हरतालिका तीज में गहरी आस्‍था है महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं मान्‍यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को शिव-पार्वती अखंड सौभाग्‍य का वरदान देते हैं वहीं कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्‍त‍ि होती है 
हरतालिका तीज का व्रत कैसे करें?
हरतालिका तीज का व्रत अत्‍यंत कठिन माना जाता है। यह निर्जला व्रत है यानी कि व्रत के पारण से पहले पानी की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है व्रत के दिन सुबह-सवेरे स्‍नान करने के बाद "उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये" मंत्र का उच्‍चारण करते हुए व्रत का संकल्‍प लिया जाता है 
हरतालिका तीज की पूजन सामग्री 
हरतालिका व्रत से एक दिन पहले ही पूजा की सामग्री जुटा लें: गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, वस्‍त्र, मौसमी फल-फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद.  
मां पार्वती की सुहाग सामग्री: मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, सुहाग पिटारी. 
हरतालिका तीज की पूजन विधि 
हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है प्रदोष काल यानी कि दिन-रात के मिलने का समय. हरतालिका तीज के दिन इस प्रकार शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। संध्‍या के समय फिर से स्‍नान कर साफ और सुंदर वस्‍त्र धारण करें इस दिन सुहागिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। इसके बाद गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाएं दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं। सुहाग की सामग्री को अच्‍छी तरह सजाकर मां पार्वती को अर्पित करें। शिवजी को वस्‍त्र अर्पित करें। अब हरतालिका व्रत की कथा सुनें इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और फिर शिवजी व माता पार्वती की आरती उतारें। अब भगवान की परिक्रमा करें। रात को जागरण करें. सुबह स्‍नान करने के बाद माता पार्वती का पूजन करें और उन्‍हें सिंदूर चढ़ाएं। फिर ककड़ी और हल्‍वे का भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें सभी पूजन सामग्री को एकत्र कर किसी सुहागिन महिला को दान दें
हरतालिका तीज की व्रत कथा 
पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार शिव जी ने माता पार्वती जी को इस व्रत के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया था मां गौरा ने माता पार्वती के रूप में हिमालय के घर में जन्म लिया था बचपन से ही माता पार्वती भगवान शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं और उसके लिए उन्होंने कठोर तप किया 12 सालों तक निराहार रह करके तप किया एक दिन नारद जी ने उन्हें आकर कहा कि पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु आपकी पुत्री से विवाह करना चाहते हैं. नारद मुनि की बात सुनकर महाराज हिमालय बहुत प्रसन्न हुए उधर, भगवान विष्णु के सामने जाकर नारद मुनि बोले कि महाराज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती से आपका विवाह करवाना चाहते हैं भगवान विष्णु ने भी इसकी अनुमति दे दी फिर माता पार्वती के पास जाकर नारद जी ने सूचना दी कि आपके पिता ने आपका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया है यह सुनकर पार्वती बहुत निराश हुईं उन्होंने अपनी सखियों से अनुरोध कर उसे किसी एकांत गुप्त स्थान पर ले जाने को कहा माता पार्वती की इच्छानुसार उनके पिता महाराज हिमालय की नजरों से बचाकर उनकी सखियां माता पार्वती को घने सुनसान जंगल में स्थित एक गुफा में छोड़ आईं। यहीं रहकर उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप शुरू किया जिसके लिए उन्होंने रेत के शिवलिंग की स्थापना की संयोग से हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का वह दिन था जब माता पार्वती ने शिवलिंग की स्थापना की इस दिन निर्जला उपवास रखते हुए उन्होंने रात्रि में जागरण भी किया
उनके कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए माता पार्वती जी को उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया. अगले दिन अपनी सखी के साथ माता पार्वती ने व्रत का पारण किया और समस्त पूजा सामग्री को गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया. उधर, माता पार्वती के पिता भगवान विष्णु को अपनी बेटी से विवाह करने का वचन दिए जाने के बाद पुत्री के घर छोड़ देने से व्याकुल थे. फिर वह पार्वती को ढूंढते हुए उस स्थान तक जा पंहुचे. इसके बाद माता पार्वती ने उन्हें अपने घर छोड़ देने का कारण बताया और भगवान शिव से विवाह करने के अपने संकल्प और शिव द्वारा मिले वरदान के बारे में बताया. तब पिता महाराज हिमालय भगवान विष्णु से क्षमा मांगते हुए भगवान शिव से अपनी पुत्री के विवाह को राजी हुए

हरतालिका तीज की तिथ‍ि और शुभ मुहूर्त
तृतीया तिथि प्रारंभ:
 01 सितंबर 2019 को सुबह 08 बजकर 27 मिनट से.
तृतीया तिथि समाप्‍त: 02 सितंबर 2019 को सुबह 4 बजकर 57 मिनट तक.
अगर आप 01 सितंबर को व्रत कर रही हैं तो पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है: 
प्रात: काल हरतालिका पूजा मुहूर्त: सुबह 08 बजकर 27 मिनट से सुबह 08 बजकर 35 मिनट तक.
अगर आप 02 सितंबर को व्रत कर रही हैं तो सूर्योदय होने के बाद दो घंटे के भीतर तीज पूजन कर लें. 
इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सूर्योदय से सुबह 08 बजकर 58 मिनट तक है.










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